Class 10 EVERGREEN PUBLICATION Solutions Hindi Chapter 5 - Mahabhart Ki Sanjh
Mahabhart Ki Sanjh Exercise प्रश्न-अभ्यास
Solution क-i
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता धृतराष्ट्र हैं। धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे। वे कौरवों के पिता हैं। दुर्योधन उनका जेष्ठ पुत्र हैं। इस समय वे अपने मंत्री संजय के सामने अपनी व्यथा को प्रकट कर रहे हैं।
Solution क-ii
यहाँ पर श्रोता धृतराष्ट्र का मंत्री है। उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी। अपनी दिव्य दृष्टि की सहायता से वे धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का वर्णन बताते रहते हैं। इस समय वे धृतराष्ट्र को शांत रहने की सलाह देते हैं। संजय के अनुसार जो हो चुका है उस पर शोक करना व्यर्थ है।
Solution क-iii
यहाँ पर धृतराष्ट्र के अति पुत्र-मोह से उपजे महाभारत के युद्ध की ओर संकेत किया गया है। पुत्र-स्नेह के कारण दुर्योधन की हर अनुचित माँगों और हरकतों को धृतराष्ट्र ने उचित माना। धृतराष्ट्र ने पुत्र-मोह में बड़ों की सलाह, राजनैतिक कर्तव्य आदि सबको नकारते हुए अपने पुत्र को सबसे अहम् स्थान दिया और जिसकी परिणिति महाभारत के भीषण युद्ध में हुई।
Solution क-iv
पुत्र-मोह से यहाँ तात्पर्य अंधे प्रेम से है। धृतराष्ट्र अपने जेष्ठ पुत्र दुर्योधन से अंधा प्रेम करते थे इसलिए वे उसकी जायज नाजायज सभी माँगों को पूरा करते थे। इसी कारणवश दुर्योधन बचपन से दंभी और अहंकारी होता गया।
Solution ख-i
महाभारत के युद्ध में सभी मारे जाते हैं केवल एक अकेला दुर्योधन बचता है। युद्ध तब तक समाप्त नहीं माना जा सकता था जब तक कि दुर्योधन मारा नहीं जाता। इस समय दुर्योधन घायल अवस्था में है और अपने प्राण बचाने के लिए द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता है।
Solution ख-ii
उपर्युक्त कथन भीम का है। प्रस्तुत कथन का संदर्भ दुर्योधन को सरोवर से बाहर निकालने का है। दुर्योधन
महाभारत के युद्ध में घायल हो जाता है और भागकर द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता है। वह उसमें से बाहर नहीं निकलता है। तब उसे सरोवर से बाहर निकालने के लिए भीम उसे उपर्युक्त कथन कहकर ललकारता है।
Solution ख-iii
उपर्युक्त कथन का दुर्योधन ने उत्तर दिया कि वह सभी बातों को भली-भाँति जानता है लेकिन वह थककर चूर हो चुका है। उसकी सेना भी तितर-बितर हो गई है, उसका कवच फट गया है और उसके सारे शस्त्रास्त्र चूक गए हैं। उसे समय चाहिए और उसने भी पांडवों को तेरह वर्ष का समय दिया था।
Solution ख-iv
घृत उभारा है से तात्पर्य दुर्योधन की ईर्ष्या से है। भीम दुर्योधन से कहता है कि वर्षों से तुमने इस ईर्ष्या का बीज बोया है तो अब फसल तो तुम्हें ही काटनी होगी। कितनों को उसने इस ईर्ष्या रूपी अग्नि में जलाया है लेकिन आज स्वयं उन आग की लपटों से बचना चाहता है।
Solution ग-i
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता युधिष्ठिर और श्रोता दुर्योधन है। इस समय वक्ता युधिष्ठिर मरणासन्न श्रोता दुर्योधन को शांति प्रदान करने के उद्देश्य से आए हैं। इस समय दोनों के मध्य उचित अनुचित विचारों पर वार्तालाप चल रहा है।
Solution ग-ii
उपर्युक्त अवतरण में राज्य के वास्तविक उत्तराधिकारी के संदर्भ में बात की जा रही है। यहाँ पर युधिष्ठिर का कहना है कि राज्य पर उनका वास्तविक अधिकार था यह जानते हुए भी दुर्योधन यह मानने के लिए कभी तैयार नहीं हुआ और इस कारण परिवार में ईर्ष्या और और झगड़े बढ़कर अंत में महाभारत के युद्ध में तब्दील हो गए।
Solution ग-iii
प्रस्तुत एकांकी का उद्देश्य यह है कि आप चाहे कितने भी कूटनीतिज्ञ, बलवान और बुद्धिमान क्यों न हो परंतु यदि आप का रास्ता धर्म का नहीं है तो आपका अंत होना निश्चित है। साथ यह एकांकी मनुष्य को त्याग और सहनशीलता का पाठ भी पढ़ाती है। यही वे दो मुख्य कारण थे जिसके अभाव में महाभारत का युद्ध लड़ा गया। इसके अतिरिक्त इस एकांकी का एक और उद्देश्य यह भी दिखाना था कि इस युद्ध के लिए कौरव और पांडव दोनों ही पक्ष बराबर जिम्मेदार थे।
Solution ग-iv
महाभारत का युद्ध तो शुरू से लेकर अंत तक सीखों से ही भरा पड़ा हैं परंतु मुख्य रूप से यह युद्ध हमें यह सीख देता है कि कभी भी पारिवारिक धन-संपत्ति के लिए अपने ही भाईयों से ईर्ष्या और वैमनस्य नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के लड़ाई-झगड़े में जीत कर भी हार ही होती है।