CBSE Class 7 Answered
1. हम पंछी उन्मुक्त.................. टूट जाएँगे।
इन पंक्तियों में कवि पक्षियों की ओर से कह रहा है कि हमारा बसेरा खुला आसमान है। हम उस में उड़ते हुए ही खुशी के गीत गा सकते हैं। यदि हमें पिंजरे में बंद कर दिया जाए तो हम चहचहाना भूल जाएँगे। स्वतंत्रता पाने की इच्छा में प्रसन्नता से भरकर हमारे कोमल पंख सोने की सलाखों से आजादी के लिए टकरा टकरा कर टूट जाएँगे।
2. हम बहता जल .................... मैदा से।
इन पंक्तियों में कवि पक्षियों की ओर से कह रहा है कि हमें बहता हुआ जल पीना पसंद है। पिंजरे में बंद होकर तो हम भूखे प्यासे मर जाएँगे। पिंजरे में रहकर सोने की कटोरी में मिलने वाले दाने से अच्छा उन्हें कड़वी नीम का फल लगता है।
3. स्वर्ण श्रृंखला के..................... पर के झूले।
इन पंक्तियों में कवि कह रहा है कि पक्षी सोने की जंजीरों के बंधन में पड़कर अपनी चाल और उड़ने का ढंग सब भूल जाते हैं। वे पिंजरे में पड़े-पड़े पेड़ों की सबसे ऊंची शाखाओं के शिखरों पर झूलने का बस सपना ही देखते रहते हैं।
4. ऐसे थे अरमान................... अनार के दाने।
इन पंक्तियों में कवि कह रहा है कि पक्षियों की इच्छा खुले नीले आसमान में उड़ने की है। उड़ते हुए वे आसामान की सीमा को छूना चाहते हैं। वह अपनी चोंच से आसमान के तारों जैसे अनार के दानों को चुगना चाहते हैं। वे आजादी से बहुत ऊंचा उड़ना चाहते हैं।
5. होती सीमाहीन................ सांसों की डोरी।
इन पंक्तियों में कवि कह रहा है कि आसमान में उड़ते हुए पक्षियों के पंखों में एक होड़ सी लग जाती है। वे आसमान की सीमा को छू लेना चाहते हैं, जिसका कोई अंत नहीं है। उन्हें लगता है कि आसमान को छू लेने से उनका आसमान से मिलन पूरा हो जाएगा। वे यही इच्छा लेकर आसमान में उड़ते हैं कि या तो वह मंजिल को प्राप्त ही कर लेंगे या फिर मंजिल पाने की चाह में उनकी सांसे ही उखड़ जाएंगी अर्थात वे मर जाएँगे।
6. नीड़ न दो...................... विघ्न न डालो।
कवि इन पंक्तियों में कह रहा है कि चाहे पक्षियों को घोंसला बनाने के लिए पेड़ की डाली मत दो ।यदि चाहो तो उनके रहने का स्थान भी तोड़ डालो। परंतु भगवान ने उनको उड़ने के लिए पंख दिए हैं इसलिए उनकी परेशानी से भरी उड़ान में किसी तरह की बाधा मत खड़ी करो