CBSE Class 6 Answered
कविवर सूरदास हिंदी साहित्य की कृष्ण भक्ति काव्यधारा के प्रमुख कवि हैं । सूरदास जी जन्म के स्थान व जन्म तिथि के संदर्भ में विद्वान एकमत नहीं हैं परंतु अधिकांश लोगों का मानना है कि आप जन्म से ही अंधे थे ।
प्राप्त तथ्यों के आधार पर सूरदास जी का जन्म संवत् 1535 ई॰ में बल्लभगढ़ के समीप सीही नामक ग्राम में हुआ था। सूरदास जी बचपन से ही अपने परिवार से विमुख हो गए थे ताकि वह उन पर बोझ न बन सकें । सूरदास जी सीही से निकलकर भ्रमण करते हुए मथुरा गए, परंतु शांतिप्रिय सूरदास वहाँ अधिक दिनों तक नहीं रुक सके । तत्पश्चात् वे मथुरा-आगरा सड़क पर स्थित गऊघाट पर आकर रहने लगे । घाट पर ही जब पुष्टि संप्रदाय के महान गुरु बल्लभाचार्य पधारे तब सूरदास जी से उनकी मुलाकात हुई ।
बल्लभाचार्य जी सूरदास के पदों से अत्यंत प्रभावित हुए । सूरदास को बल्लभाचार्य जी से दीक्षा प्राप्त हुई तथा उन्होंने ही सूरदास को आजीवन कृष्ण-लीला का गायन करने हेतु प्रेरित किया ।
सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं:
(१) सूरसागर
(२) सूरसारावली
(३) साहित्य-लहरी
(४) नल-दमयन्ती
(५) ब्याहलो