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CBSE Class 8 Saaransh Lekhan Ye Kathin Samay Nahi Hai

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Ye Kathin Samay Nahi Hai Synopsis

सारांश

उपर्युक्त कविता में कवयित्री कहती है कि अभी सबसे कठिन समय नहीं है क्योंकि अभी भी चिड़िया तिनका ले जाकर घोंसला बनाने की तैयारी में है। अभी भी झड़ती हुई पत्तियों को सँभालने वाला कोई हाथ है अर्थात् अभी भी लोग एक दूसरे की मदद के लिए तैयार है। अभी भी अपने गंतव्य तक पहुँचने का इंतजार करने वालों के लिए रेलगाड़ियाँ आती हैं। अभी भी कोई कहता है जल्दी आ जाओ क्योंकि सूरज डूबने वाला है। अभी भी बूढी नानी की सुनाई कथा आज भी कोई सुनाता है कि अंतरिक्ष के पार भी दुनिया है। अतः अभी सबसे कठिन समय नहीं आया है।

भावार्थ

  1. नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं!
    अभी भी दबा है चिड़ियाँ की
    चोंच में तिनका
    और वह उड़ने की तैयारी में है!
    अभी भी झरती हुई पत्ती
    थामने को बैठा है हाथ एक
    अभी भी भीड़ है स्टेशन पर
    अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है
    गंतव्य तक
    जहाँ कोई कर रहा होगा प्रतीक्षा
    नए शब्द/कठिन शब्द
    कठिन- मुश्किल
    तिनका- लकड़ी का छोटा टुकड़ा
    झरती- गिरना
    थामने- पकड़ना
    रेलगाड़ी- ट्रेन
    गंतव्य- जिस स्थान पर पहुंचना होता है
    प्रतीक्षा- इंतजार
    भावार्थ- कवयित्री के अनुसार, भले ही हर तरफ अविश्वास का अंधकार छाया है, लेकिन अभी भी उनके मन में आशा की किरणें चमक रही हैं, वो कहती हैं– ये सबसे बुरा वक्त नहीं है। अभी चिड़िया अपना घोंसला बुनने के लिए तिनके जमा कर रही है। वृक्ष से गिरती पत्ती को थामने के लिए कोई हाथ अभी मौजूद है। अभी भी अपनी मंज़िल तक पहुंचने का इंतज़ार कर रहे यात्रियों को उनकी मंज़िल तक ले जाने वाली गाड़ी आती है।

  2. अभी भी कहता है कोई किसी को
    जल्दी आ जाओ कि अब
    सूरज डूबने का वक्त हो गया
    अभी कहा जाता है
    उस कथा का आखिरी हिस्सा
    जो बूढ़ी नानी सुना रही सदियों से
    दुनिया के तमाम बच्चों को
    अभी आती है एक बस
    अंतरिक्ष के पार की दुनिया से
    लाएगी बचे हुए लोगों की खबर!
    नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं।
    नए शब्द/कठिन शब्द
    वक्त- समय
    कथा- कहानी
    आखिरी- अंतिम
    हिस्सा- भाग
    सदियों- पुराने समय से
    तमाम- बहुत सारे
    अंतरिक्ष- ब्रह्मांड
    खबर- समाचार
    कठिन- मुश्किल
    भावार्थ- कवयित्री ने निराशा से भरे इस संसार में भी आशा का दामन थाम रखा है। तभी वो इन पंक्तियों में कहती हैं कि यह सबसे बुरा समय नहीं है। आज भी कोई घर पर किसी का इंतज़ार करता है और सूरज डूबने से पहले उसे घर बुलाता है। जब तक इस दुनिया में दादी-नानी की सुनाई दिलचस्प कहानियां गूँजती रहेंगी, तब तक ये दुनिया बसी रहेगी और सबसे बुरा वक्त नहीं आएगा।