CBSE Class 7 Answered
मित्रवर आपके प्रश्न के लिए धन्यवाद। एक समय पर आप एक ही प्रश्न की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं हम आपको (प्रश्न 1) कवि गिरिधर की कुण्डलियाँ यहाँ पर उपलब्ध करवा रहे हैं । (प्रश्न 2 ) वाद - विवाद दुर्भाग्य से आपके हमारी प्रदान सेवाओं के दायरे से बाहर हो जाता है । "विशेषज्ञ से पूछो" ("Ask the Expert" ) की सेवा छात्रों के संदेहों को स्पष्ट करने के लिए है न कि लंबे उत्तर प्रदान करने के लिए । यदि आपने इस विषय पर जवाब तैयार किया है तो एक विशेष मामले के रूप में हम उसकी समीक्षा अवश्य करेंगे । इस प्रश्न के स्थान पर आप एक और प्रश्न पूछ सकते हैं ।
गिरिधर की कुण्डलियाँ -
1) बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ।
जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ॥
ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवै।
दुर्जन हंसे न कोइ, चित्त मैं खता न पावै॥
कह 'गिरिधर कविराय यहै करु मन परतीती।
आगे को सुख समुझि, होइ बीती सो बीती
2) साईं, बैर न कीजिए, गुरु, पंडित, कवि, यार ।
बेटा, बनिता, पँवरिया, यज्ञ–करावनहार ॥
यज्ञ–करावनहार, राजमंत्री जो होई ।
विप्र, पड़ोसी, वैद्य, आपकी तपै रसोई ॥
कह गिरिधर कविराय, जुगन ते यह चलि आई,
इअन तेरह सों तरह दिये बनि आवे साईं ॥
अध्ययन के लिए हमारी हार्दिक शुभकामनाएँ ।