CBSE Class 10 Answered
डार द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के.......
'प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै'-
प्रस्तुत पंक्तियाँ देवदत्त द्विवेदी द्वारा रचित सवैया से ली गई है। इसमें वसंत रुपी बालक का प्रकृति के माध्यम से लालन पालन करते दर्शाया गया है। इस पंक्ति के द्वारा कवि ने वसंत ऋतु की सुबह के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है। वसंत ऋतु को राजा कामदेव का पुत्र बताया गया है। वसंत रुपी बालक, पेड़ की डाल रुपी पालने में सोया हुआ है।स्वयं वायु आकर उसका पलना झुला रही है। मोर और तोता मधुर स्वर में उससे बातें करके हाल बाँट रहें हैं। कोयल आकर उससे बात करती है तथा तालियाँ बजाकर प्रसन्न करती है। कंज के फूलों से लदी लताएँ मानो सुसज्जित साड़ी है जिसे नायिका ने सिर तक ओढ़ा हुआ है। वह पराग कणों को उड़ाकर मानो नून और राई की रस्म अदा कर रही हो ताकि शिशु पर किसी की नज़र न लगे और प्रात:काल (सुबह) होने पर शिशु को गुलाब का फूल चुटकी बजाकर जगा रहा है।